गैर-संभाव्य sampling विधियाँ वे तकनीकें हैं, जिनमें किसी जनसंख्या के सभी व्यक्तियों को चयन का अवसर नहीं मिलता। ये विधियाँ अक्सर तब उपयोग की जाती हैं जब संभाव्य sampling संभव नहीं होती या व्यावहारिक नहीं होती। इनमें शामिल हैं:
- सुविधा सैंपलिंग: यह गैर-संभाव्य sampling का सबसे सरल रूप है, जिसमें सैंपल को इस आधार पर चुना जाता है कि वह कितने आसानी से उपलब्ध है। इसमें उन प्रतिभागियों को चुना जाता है जो सबसे अधिक सुविधाजनक रूप से उपलब्ध होते हैं। यह त्वरित और लागत प्रभावी है, लेकिन यह पूर्वाग्रह का कारण बन सकता है क्योंकि सैंपल जनसंख्या का सही प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता है।
- निर्णय सैंपलिंग (Purposive Sampling): इस विधि में, शोधकर्ता उन व्यक्तियों को चुनता है जिन्हें वह अपने अध्ययन के उद्देश्य के लिए सबसे अधिक जानकारीपूर्ण या प्रतिनिधि मानता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब शोधकर्ता किसी विशेष समूह या प्रतिभागी को केंद्रित करना चाहता है। हालांकि, यह शोधकर्ता के निर्णय पर आधारित होता है, जिससे चयन में पूर्वाग्रह हो सकता है।
- कोटा सैंपलिंग: इस तकनीक में, जनसंख्या को विभिन्न उपसमूहों या कोटाओं में विभाजित किया जाता है, जैसे कि आयु, लिंग, आय, या अन्य संबंधित कारकों के आधार पर। एक बार कोटा निर्धारित हो जाने के बाद, प्रत्येक उपसमूह से गैर-रैंडम तरीके से प्रतिभागियों का चयन किया जाता है जब तक कि उस समूह का कोटा पूरा नहीं हो जाता। जबकि यह विशिष्ट उपसमूहों से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है, यह यह सुनिश्चित नहीं करता कि सैंपल रैंडम हो, जिससे पूर्वाग्रह हो सकता है।
ये विधियाँ सामान्यतः उन परिस्थितियों में उपयोग की जाती हैं जहाँ समय, लागत या पहुंच की सीमाएँ संभाव्य sampling विधियों को लागू करने में कठिनाई उत्पन्न करती हैं। हालांकि, इन विधियों के सामान्यीकरण में सीमाएँ हो सकती हैं और ये शोध परिणामों में पूर्वाग्रह पैदा कर सकती हैं।