1. पर्यावरण प्रबंधन और सरकारी नीतियाँ
पर्यावरण प्रबंधन का तात्पर्य उन गतिविधियों के व्यवस्थित प्रबंधन से है जो पर्यावरण पर प्रभाव डालती हैं, ताकि प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके और सतत विकास हो सके। दुनिया भर की सरकारें पर्यावरण प्रबंधन और पर्यावरणीय गिरावट को रोकने के लिए विभिन्न नीतियों और नियमों को लागू करती हैं।
पर्यावरण प्रबंधन के प्रमुख पहलू:
- सतत विकास (Sustainable Development): वर्तमान की आवश्यकताओं को पूरा करना, जिससे भविष्य की पीढ़ियाँ अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें, बिना प्राकृतिक संसाधनों को समाप्त किए।
- प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: जल, वन, और भूमि जैसे संसाधनों की सुरक्षा और प्रबंधन, ताकि उनका भविष्य में भी उपयोग हो सके।
- पर्यावरण संरक्षण कानून: प्रदूषण को रोकने, जैव विविधता को बनाए रखने, और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए कानूनों का प्रवर्तन।
पर्यावरण प्रबंधन के लिए प्रमुख सरकारी नीतियाँ:
- राष्ट्रीय पर्यावरण नीति (NEP): यह नीति देश की पर्यावरणीय संरक्षण रणनीति का विवरण देती है, जिसमें सतत विकास पर जोर दिया गया है और आर्थिक विकास को पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित किया गया है।
- वायु (प्रदूषण नियंत्रण और रोकथाम) अधिनियम: यह अधिनियम वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उद्योगों, वाहनों और प्रदूषण की निगरानी के लिए उत्सर्जन मानकों को स्थापित करता है।
- जल (प्रदूषण नियंत्रण और रोकथाम) अधिनियम: यह अधिनियम जल प्रदूषण को नियंत्रित करता है और सुनिश्चित करता है कि उद्योगों से निकलने वाले अपशिष्ट जल का उपचार किया जाए ताकि जल स्रोत प्रदूषित न हों।
- पर्यावरण संरक्षण अधिनियम: यह अधिनियम पर्यावरण संरक्षण के लिए एक ढाँचा प्रदान करता है, जिससे सरकार आवश्यक कदम उठा सके और प्रदूषण को नियंत्रित कर सके।
- वन्यजीव संरक्षण अधिनियम: यह अधिनियम वन्यजीवों और उनके आवासों की रक्षा करता है ताकि जैव विविधता को बनाए रखा जा सके।
- वन संरक्षण अधिनियम: यह अधिनियम वन संरक्षण पर केंद्रित है और वनों की कटाई और वन भूमि के गैर-वन उद्देश्यों के लिए उपयोग को नियंत्रित करता है।
सरकारी पहल:
- स्वच्छ भारत अभियान: स्वच्छता, स्वास्थ्य, और कचरा प्रबंधन पर केंद्रित राष्ट्रीय अभियान।
- नमामि गंगे कार्यक्रम: गंगा नदी को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया, जिसमें प्रदूषण नियंत्रण और जल गुणवत्ता सुधार को प्राथमिकता दी गई।
- जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC): नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता और सतत कृषि प्रथाओं के माध्यम से जलवायु परिवर्तन का समाधान करने पर केंद्रित।
2. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भूमिका
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (Pollution Control Board) पर्यावरण प्रबंधन और विनियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और राज्य स्तर पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCBs) प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रमुख संगठन हैं।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रमुख कार्य:
- प्रदूषण स्तरों की निगरानी: CPCB और SPCBs वायु, जल, और मृदा प्रदूषण स्तरों की निगरानी करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि ये स्तर निर्धारित सीमा के भीतर रहें।
- पर्यावरण कानूनों का प्रवर्तन: बोर्ड वायु अधिनियम, जल अधिनियम, और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम जैसे कानूनों का प्रवर्तन करते हैं, और यह सुनिश्चित करते हैं कि उद्योग, नगरपालिकाएँ और नागरिक प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन करें।
- अनुमतियाँ और स्वीकृतियाँ जारी करना: उद्योगों को पर्यावरणीय नियमों के अनुरूप संचालन के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से ‘स्थापना की सहमति’ (Consent to Establish) और ‘संचालन की सहमति’ (Consent to Operate) प्राप्त करनी होती है।
- प्रदूषण नियंत्रण उपाय: बोर्ड प्रदूषण नियंत्रण रणनीतियाँ तैयार करते हैं, उत्सर्जन मानक स्थापित करते हैं, और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बढ़ावा देते हैं। वे खतरनाक अपशिष्ट प्रबंधन के उपाय भी लागू करते हैं।
- अनुसंधान और विकास: प्रदूषण स्रोतों, उनके प्रभावों और समाधानों पर शोध किया जाता है। नए प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों का विकास, जैसे अपशिष्ट जल उपचार।
- जन जागरूकता और शिक्षा: पर्यावरणीय मुद्दों के बारे में जनता को जागरूक करने और पर्यावरण-मित्रता वाली प्रथाओं को बढ़ावा देने में बोर्ड महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे प्रदूषण कम करने के लिए अभियान चलाते हैं।
- पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA): बोर्ड नए परियोजनाओं के पर्यावरण प्रभाव आकलन की समीक्षा और अनुमोदन करते हैं, ताकि विकास परियोजनाएँ पर्यावरण को नुकसान न पहुँचाएँ।
- कचरा प्रबंधन: बोर्ड ठोस कचरा, खतरनाक कचरा, जैव चिकित्सा कचरा, और इलेक्ट्रॉनिक कचरा (ई-कचरा) के उपचार और निपटान की निगरानी करते हैं, ताकि इनका प्रबंधन पर्यावरण के अनुकूल तरीके से किया जा सके।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB):
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है। यह देश भर में प्रदूषण नियंत्रण के लिए नीतियाँ बनाता है और मानक तय करता है।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCBs):
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केंद्रीय बोर्ड द्वारा स्थापित नीतियों और मानकों को राज्य स्तर पर लागू करते हैं। वे स्थानीय उद्योगों, जल निकायों और वायु गुणवत्ता की निगरानी करते हैं और पर्यावरणीय कानूनों का राज्य में अनुपालन सुनिश्चित करते हैं।
निष्कर्ष:
पर्यावरण प्रबंधन में सरकारी नीतियाँ और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। ये संगठन पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण नियंत्रण और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए काम करते हैं, जिससे एक स्वच्छ और स्वस्थ पर्यावरण को सुनिश्चित किया जा सके।