जोड़ों और मांसपेशियों का वर्गीकरण/ Classification Of Joints And Muscles In Hindi

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1. जोड़ (Joints) का वर्गीकरण

जोड़ वे संरचनाएँ हैं जहाँ दो या अधिक हड्डियाँ मिलती हैं, जिससे शरीर में गति और सहारा मिलता है। जोड़ को संरचना (Structure) और कार्य (Function) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

A. जोड़ का संरचनात्मक (Structural) वर्गीकरण

  1. रेशेदार जोड़ (Fibrous Joints) – अचल जोड़
    • हड्डियाँ मजबूत संयोजी ऊतक (Connective Tissue) द्वारा जुड़ी होती हैं।
    • कोई गति नहीं होती।
    • उदाहरण: खोपड़ी (Skull) के जोड़, टिबिया और फाइबुला के बीच का जोड़।
  2. उपास्थिय जोड़ (Cartilaginous Joints) – आंशिक रूप से चलने योग्य जोड़
    • हड्डियाँ उपास्थि (Cartilage) द्वारा जुड़ी होती हैं, जिससे सीमित गति होती है।
    • उदाहरण:
      • सिनकांड्रोसिस (Synchondrosis) – बच्चों में वृद्धि प्लेट (Growth Plate)।
      • सिंफिसिस (Symphysis) – इंटरवर्टेब्रल डिस्क, प्यूबिक सिंफिसिस।
  3. साइनोवियल जोड़ (Synovial Joints) – पूर्ण रूप से चलने योग्य जोड़
    • इस प्रकार के जोड़ में साइनोवियल द्रव (Synovial Fluid) होता है, जिससे मुलायम और सुगम गति होती है।
    • उदाहरण: कंधे का जोड़, घुटने का जोड़, कोहनी का जोड़।

B. जोड़ का क्रियात्मक (Functional) वर्गीकरण

  1. सिनआर्थ्रोसिस (Synarthrosis) – अचल जोड़ – खोपड़ी, दाँतों के जोड़।
  2. एम्फिआर्थ्रोसिस (Amphiarthrosis) – आंशिक रूप से चलने योग्य जोड़ – इंटरवर्टेब्रल डिस्क, प्यूबिक सिंफिसिस।
  3. डायआर्थ्रोसिस (Diarthrosis) – पूर्ण रूप से चलने योग्य जोड़ – कंधा, कूल्हा, घुटना।

C. साइनोवियल जोड़ के प्रकार (आंदोलन के आधार पर)

  1. बाल एंड सॉकेट जोड़ (Ball and Socket Joint) – कंधा और कूल्हा (360° गति)।
  2. हिंज जोड़ (Hinge Joint) – घुटना और कोहनी (आगे-पीछे गति)।
  3. पिवट जोड़ (Pivot Joint) – गर्दन (घूर्णी गति)।
  4. ग्लाइडिंग जोड़ (Gliding Joint) – कलाई और टखना (स्लाइडिंग गति)।
  5. सैडल जोड़ (Saddle Joint) – अंगूठे का जोड़ (विभिन्न दिशाओं में गति)।
  6. कंडाइलोड जोड़ (Condyloid Joint) – कलाई जोड़ (ऊपर-नीचे और दाएँ-बाएँ गति)।

2. मांसपेशियों (Muscles) का वर्गीकरण

मांसपेशियाँ शरीर की गति, मुद्रा और सहारे के लिए जिम्मेदार होती हैं। इन्हें संरचना (Structure) और कार्य (Function) के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।

A. मांसपेशियों का संरचनात्मक (Structural) वर्गीकरण

  1. कंकालीय मांसपेशियाँ (Skeletal Muscles) – इच्छानुसार चलने वाली मांसपेशियाँ
    • ये हड्डियों से जुड़ी होती हैं और इनका नियंत्रण हमारे इच्छानुसार होता है
    • रेखांकित (Striated) होती हैं।
    • उदाहरण: बाइसेप्स, ट्राइसेप्स, क्वाड्रिसेप्स।
  2. मृदु मांसपेशियाँ (Smooth Muscles) – अनैच्छिक मांसपेशियाँ
    • ये आंतरिक अंगों (Internal Organs) में पाई जाती हैं।
    • रेखांकित नहीं होती और अनैच्छिक होती हैं।
    • उदाहरण: पाचन तंत्र की मांसपेशियाँ, मूत्राशय की मांसपेशियाँ।
  3. हृदय की मांसपेशियाँ (Cardiac Muscles) – हृदय की विशेष मांसपेशियाँ
    • केवल हृदय में पाई जाती हैं
    • रेखांकित होती हैं लेकिन अनैच्छिक होती हैं।
    • उदाहरण: मायोकार्डियम (Myocardium – हृदय की मांसपेशी)।

B. मांसपेशियों का क्रियात्मक (Functional) वर्गीकरण

  1. एगोनिस्ट (Agonist) – प्रमुख गति करने वाली मांसपेशी
    • यह मुख्य रूप से किसी गति के लिए जिम्मेदार होती है।
    • उदाहरण: बाइसेप्स कोहनी को मोड़ने का काम करता है।
  2. एंटागोनिस्ट (Antagonist) – एगोनिस्ट के विपरीत कार्य करने वाली मांसपेशी
    • गति को संतुलित और नियंत्रित करती है।
    • उदाहरण: ट्राइसेप्स, बाइसेप्स की गति का विरोध करता है।
  3. सिनर्जिस्ट (Synergist) – सहायक मांसपेशी
    • यह प्रमुख गति करने वाली मांसपेशी (एगोनिस्ट) की सहायता करती है।
    • उदाहरण: ब्रैकियालिस, बाइसेप्स की मदद करता है।
  4. फिक्सेटर (Fixator) – शरीर के मूल अंग को स्थिर रखने वाली मांसपेशी
    • यह शरीर के किसी हिस्से को स्थिर बनाए रखती है ताकि अन्य मांसपेशियाँ बेहतर कार्य कर सकें।
    • उदाहरण: कंधे के आसपास की मांसपेशियाँ हाथ की गति को स्थिर करती हैं।

निष्कर्ष

  • जोड़ (Joints) को संरचनात्मक (Fibrous, Cartilaginous, Synovial) और क्रियात्मक (Immovable, Slightly Movable, Freely Movable) आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
  • मांसपेशियाँ (Muscles) को संरचनात्मक (Skeletal, Smooth, Cardiac) और क्रियात्मक (Agonist, Antagonist, Synergist, Fixator) आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
  • जोड़ और मांसपेशियाँ मिलकर शरीर में गति और स्थिरता बनाए रखने का कार्य करती हैं।

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