सारांश लिखने का उद्देश्य शोध पत्र, लेख, या रिपोर्ट की मुख्य बातों को संक्षेप में और प्रभावी तरीके से प्रस्तुत करना है। सारांश लिखने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
1. उद्देश्य समझें
- सारांश पूरे कार्य का एक संक्षिप्त वर्णन प्रदान करता है, जिससे पाठक यह समझ सकते हैं कि सामग्री उनके लिए प्रासंगिक है या नहीं।
2. संरचना जानें
आमतौर पर सारांश को निम्नलिखित क्रम में लिखा जाता है:
- पृष्ठभूमि/प्रसंग: जिस समस्या या विषय को संबोधित किया जा रहा है, उसका संक्षिप्त परिचय दें।
- उद्देश्य/प्रयोजन: शोध का उद्देश्य या उत्तरित प्रश्न को स्पष्ट करें।
- पद्धति/दृष्टिकोण: शोध कैसे किया गया या उपयोग की गई विधियों का संक्षिप्त विवरण दें।
- परिणाम/खोज: अध्ययन के मुख्य परिणाम या निष्कर्ष प्रस्तुत करें।
- निष्कर्ष/प्रभाव: निष्कर्ष की महत्ता और इसके संभावित प्रभावों को रेखांकित करें।
3. संक्षिप्त रखें
- सारांश आमतौर पर 150-250 शब्दों का होता है। यदि इसे किसी जर्नल या सम्मेलन में प्रस्तुत करना हो, तो वहां दिए गए दिशानिर्देशों का पालन करें।
4. भूतकाल का प्रयोग करें
- पूर्ण हो चुके शोध के लिए भूतकाल का उपयोग करें (जैसे, “अध्ययन में पाया गया…”)।
5. अत्यधिक विवरण से बचें
- विस्तृत डेटा, आंकड़े, या संदर्भ शामिल न करें।
6. मुख्य शब्दों का प्रयोग करें
- प्रासंगिक मुख्य शब्दों को शामिल करें ताकि खोज के दौरान सामग्री आसानी से मिल सके।
7. अंत में लिखें
- पूरा शोध पत्र पूरा करने के बाद ही सारांश लिखें, ताकि यह सटीक रूप से सामग्री को प्रतिबिंबित करे।
सारांश का उदाहरण:
शीर्षक: किशोरों में शैक्षणिक प्रदर्शन पर योग का प्रभाव
सारांश:
यह अध्ययन किशोरों के शैक्षणिक प्रदर्शन पर योग अभ्यास के प्रभाव की जांच करता है। इसका उद्देश्य यह मूल्यांकन करना था कि नियमित योग सत्र विद्यार्थियों की संज्ञानात्मक क्षमताओं को बढ़ाने और तनाव को कम करने में मदद करते हैं या नहीं। इस अध्ययन में 13-18 वर्ष की आयु के छात्रों पर 12 सप्ताह तक योग कक्षाओं का हस्तक्षेप किया गया, जिसमें स्व-मूल्यांकन सर्वेक्षण और मानकीकृत परीक्षण मूल्यांकन शामिल थे। परिणामों में एकाग्रता, स्मरण शक्ति और परीक्षा के अंकों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया। निष्कर्ष बताते हैं कि स्कूल पाठ्यक्रम में योग को शामिल करना छात्रों के प्रदर्शन और कल्याण को सुधारने की एक प्रभावी रणनीति हो सकती है।